Class 9th Subject Science Chapter 1

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रसायन विज्ञान और भौतिक विज्ञान में पदार्थ (matter) उसे कहते हैं जो स्थान घेरता है व जिसमे द्रव्यमान (mass) होता है। पदार्थ और ऊर्जा दो अलग-अलग वस्तुएं हैं। विज्ञानके आरम्भिक विकास के दिनों में ऐसा माना जाता था कि पदार्थ न तो उत्पन्न किया जा सकता है, न नष्ट ही किया जा सकता है, अर्थात् पदार्थ अविनाशी है। इसे पदार्थ की अविनाशिता का नियम कहा जाता था। किन्तु अब यह स्थापित हो गया है कि पदार्थ और ऊर्जा का परस्पर परिवर्तन सम्भव है। यह परिवर्तन आइन्स्टीन के प्रसिद्ध समीकरण E=m*c<su के अनुसार होता है। पदार्थ की तीन अवस्थाएँ होती हैं। पदार्थ की मुख्य अवस्थाएं हैं - ठोसद्रव तथा गैस। इसके अतिरिक्त कुछ विशेष परिस्थितियों में पदार्थ प्लाज्मा, अतितरल (सुपरफ्लुइड), अतिठोस आदि अन्य अवस्थायें भी ग्रहण करता है।

पदार्थ की परिभाषा:- 

पदार्थ की आम परिभाषा है कि 'कुछ भी' जिसका कुछ-न-कुछ वजन (Mass) हो और कुछ-न-कुछ 'जगह घेरती' (Volume) हो उसे पदार्थ कहते है। उद्धरण के तौर पर, एक कार जिसका वजन होता है और वह जगह भी घेरती है उसे पदार्थ कहेंगे।येस

पदार्थ के कणों की विशेषताएँ:-

पदार्थ के कणों की विशेषताये-

  • पदार्थ के कण बहुत छोटे होते हैं।
  • पदार्थ के कणों के बीच स्थान होता है।
  • पदार्थ के कण निरंतर घूमते रहते हैं।
  • पदार्थ के कण एक दूसरे को आकर्षित करते हैं।

पदार्थ की अवस्थाएं:- 

पदार्थ तीन अवस्थाओं- ठोसद्रव और गैस में पाये जाते हैं। ताप और दाब की दी गई निश्चित परिस्थितियों में, कोइ पदार्थ किस अवस्था में रहेगा यह पदार्थ के कणों के मध्य के दो विरोधी कारकों अंतराआण्विक बल और उष्मीय ऊर्जा के सम्मिलित प्रभाव पर निर्भर करता है। अंतराआण्विक बलों की प्रवृत्ति अणुओं (अथवा परमाणुओं अथवा आयनों) को समीप रखने की होती है, जबकि उष्मीय ऊर्जा की प्रवृत्ति उन कणों को तीव्रगामी बनाकर पृथक रखने की होती है।[1]

ठोस:- 

पदार्थ की ठोस अवस्था

ठोस में, कण बारीकी से भरे होते हैं। ठोस के कणों में आकर्षण बल (Force of attaraction) आधिक होने के कारण इनका निश्चित आकार और आयतन होता है। ठोस के कुछ आम उद्हरण - जैस पत्थर, ईट, बॉल, कार, बस आदि।

द्रव:-

द्रव में कणों के मध्य बन्धन ठोस की तुलना में कम होती है अतः कण गतिमान होते हैं। इसका निश्चित आकर नहीं होता मतलब इसे जिस आकार में ढाल दो उसी में ढल जाता है लेकिन इसका आयतन निश्चित होता है। द्रवों में बहाव होता है और इनका आकार बदलता है, इसलिए यह दृढ़ नहीं लेकिन तरल होते हैं। द्रव में बहाव होते हैं और इनका आकर बदलते हैं, इसलिए यह दृढ़ नहीं लेकिन तरल होते हैं।द्रव में बहाव होते हैं और इनका आकर बदलते हैं, इसलिए यह दृढ़ नहीं लेकिन तरल होते हैं।

गैस:-

गैस में कणों के मध्य बन्धन ठोस और द्रव की तुलना में कम होती है अतः कण बहुत गतिमान होते हैं। इनका न तो निश्चित आकार (Shape) और न ही निश्चित आयतन (Volume) होता है।

पदार्थ की अवस्था में परिवर्तन:-

पदार्थ की बदलती अवस्थाए

पदार्थ तीन भौतिक अवस्था में रह सकते है :- ठोस अवस्था, द्रव अवस्था और गैस अवस्था। उदाहरण के तौर पर, पानी बर्फ के रूप में ठोस अवस्था में रह सकता है, पानी के रूप में द्रव अवस्था में रह सकता है और भाप के रूप में गैस अवस्था में रह सकता है। पदार्थ की अवस्था परिवर्तन करने के लिए हम दो विधि द्वारा कर सकते हैं,

पहली विधि:- तापमान में परिवर्तन करके हम पदार्थ की अवस्था में परिवर्तन कर सकते हैं उदाहरण के लिए जब हम द्रव को गर्म करते हैं या उसके तापमान में वृद्धि करते हैं तो वह गैस में परिवर्तित हो जाता है।
 दूसरी विधि:- दाब में परिवर्तन करके हम पदार्थ के अवस्था में परिवर्तन कर सकते हैं उदाहरण के लिए जब हम सिलेंडर के पिस्टन को दबाते हैं तब सिलेंडर के अंदर उपस्थित गैस पर दाब लगने के कारण गैस के सभी कण  पास पास मैं आ जाते हैं जिसके कारण वह गैस से द्रव और द्रव से ठोस बन जाता है।

भारतीय दर्शन में पदार्थ:-

भारत के विभिन्न दर्शनकारों ने पदार्थों की भिन्न-भिन्न संख्या मानी है। गौतम ने 16 पदार्थ माने, वेदान्तियों ने चित् और अचित् दो पदार्थ माने, रामानुज ने उनमें एक 'ईश्वर' और जोड़ दिया। सांख्यदर्शन में 25 तत्त्व हैं और मीमांसकों ने 8 तत्त्व माने हैं। वस्तुतः इन सभी दर्शनों में ‘पदार्थ’ शब्द का प्रयोग किसी एक विशिष्ट अर्थ में नहीं किया गया, प्रत्युत उन सभी विषयों का, जिनका विवेचन उन-उन दर्शनों में है, पदार्थ नाम दे दिया गया।

निर्देश :- उपरोक्त विषय वस्तु को पढ़ते समझते हुए अपने कॉपी में अवश्य लिखें ||

By- The Varish Academy

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